हिंदुस्तान बनचुका है मोब लिंचिस्तान ।
2014 से एक नई धारा बह रही है , हुम् जानते है वो सुनेहति धारा एक बुलंद आवज से शुरू हुई थी जोकि सपने दिखा रही थी। एक नए पर्व की , उस पर्व में नया भारत भरना था पर वो बस एक नए हिंसाचार की तरह उभर आया।
वो सपने थे नए देश की रचना के । देश मे गरीबी की खिलाफ , भुकमरी के खिलाफ , जाती वाद के खिलाफ, बेरोजगारी के खिलाफ , पर ये भी एक सोचा समझा जुमला था ।
भारत मे भ्रष्टाचार खत्म होने और बेरोजगारी के खिलाफ होने वाले मोहिम अंतर्गत देश ने एक नया चेहरा चुना । देश को वो चेहरा भारत का एकमेव भरोसे का प्रतिबिंब दिख ।
पर शायद खोकली राजनीति के चलते लोग उसका असली नकाब उतार नही पाए। भरोसा यो हासिल कर लिया पर 4 साल में उसपे खरे नही उतर पाए तो देश को वही हिन्दू मुस्लिम की राजनीति से बरगलाने चाहे, देश इन सब से उभर चुका था । फिर वही राम और उनका अयोध्या का मंदिर इस पर बात शुरू हुई । देश कमंडल रैली को भुला नही था , देश ने उसे भी नकार दिया । भारत पाकिस्तान मुद्दे को लेकर भी देश की भावनाओ से खेलना चाहते थे। लगातार TV ख़बरोसे इस मुद्दे को गरमाये रहे , प्रवक्ताओके भरोसे देश को भटकना चाहा ।
जब कुछ न हो सका तो गौमाता के नाम पे देश को व्यस्त रखा । खून खराबा हुआ । निर्दोश मारे गए।
देश ने बोहोत दिनों बाद अपना चेहरा देख की हम स्वतंत्र जोके 72 साल हो गए पर इस राजनती ने हमे आज भी हमे गुलाम बना रखा है।
कोई सहबजादा बिना वोट के चुन कर आता है और असली कार्यकर्ता को जानबूझकर हराया जाता है।
Evm मशीन के कई किस्से सुने गए। देश मे प्रजातंत्र की धज्जिया उड़ाई गई। देश के सम्विधान को माथेका कलंक समझनेवाले अज् देश के अनेकों पदो पे विराजमान है।
देश एक धरतिका टुकड़ा बन कर रह गया है । आज शक के बुनियाद पर गढ़े हुए हत्यारे खुले आम महिला को निर्वस्त्र करके घूमाते है। किसी उपोषण में बैठे हुए को उशीके विद्यार्थी मारते है। गैमांस के शकपर मासूम की हत्या करते है। ये सब सिर्फ अपनी असफल राजनीति छुपाने के लिए कुछ राज्यकर्ता कर रहे है।
मेरा भारत आज भिड़तंत्रीओका गुलाम बन चुका है ।
मुजे इस से आजादी चाहिए । जी हिन्द जी भारत।
2014 से एक नई धारा बह रही है , हुम् जानते है वो सुनेहति धारा एक बुलंद आवज से शुरू हुई थी जोकि सपने दिखा रही थी। एक नए पर्व की , उस पर्व में नया भारत भरना था पर वो बस एक नए हिंसाचार की तरह उभर आया।
वो सपने थे नए देश की रचना के । देश मे गरीबी की खिलाफ , भुकमरी के खिलाफ , जाती वाद के खिलाफ, बेरोजगारी के खिलाफ , पर ये भी एक सोचा समझा जुमला था ।
भारत मे भ्रष्टाचार खत्म होने और बेरोजगारी के खिलाफ होने वाले मोहिम अंतर्गत देश ने एक नया चेहरा चुना । देश को वो चेहरा भारत का एकमेव भरोसे का प्रतिबिंब दिख ।
पर शायद खोकली राजनीति के चलते लोग उसका असली नकाब उतार नही पाए। भरोसा यो हासिल कर लिया पर 4 साल में उसपे खरे नही उतर पाए तो देश को वही हिन्दू मुस्लिम की राजनीति से बरगलाने चाहे, देश इन सब से उभर चुका था । फिर वही राम और उनका अयोध्या का मंदिर इस पर बात शुरू हुई । देश कमंडल रैली को भुला नही था , देश ने उसे भी नकार दिया । भारत पाकिस्तान मुद्दे को लेकर भी देश की भावनाओ से खेलना चाहते थे। लगातार TV ख़बरोसे इस मुद्दे को गरमाये रहे , प्रवक्ताओके भरोसे देश को भटकना चाहा ।
जब कुछ न हो सका तो गौमाता के नाम पे देश को व्यस्त रखा । खून खराबा हुआ । निर्दोश मारे गए।
देश ने बोहोत दिनों बाद अपना चेहरा देख की हम स्वतंत्र जोके 72 साल हो गए पर इस राजनती ने हमे आज भी हमे गुलाम बना रखा है।
कोई सहबजादा बिना वोट के चुन कर आता है और असली कार्यकर्ता को जानबूझकर हराया जाता है।
Evm मशीन के कई किस्से सुने गए। देश मे प्रजातंत्र की धज्जिया उड़ाई गई। देश के सम्विधान को माथेका कलंक समझनेवाले अज् देश के अनेकों पदो पे विराजमान है।
देश एक धरतिका टुकड़ा बन कर रह गया है । आज शक के बुनियाद पर गढ़े हुए हत्यारे खुले आम महिला को निर्वस्त्र करके घूमाते है। किसी उपोषण में बैठे हुए को उशीके विद्यार्थी मारते है। गैमांस के शकपर मासूम की हत्या करते है। ये सब सिर्फ अपनी असफल राजनीति छुपाने के लिए कुछ राज्यकर्ता कर रहे है।
मेरा भारत आज भिड़तंत्रीओका गुलाम बन चुका है ।
मुजे इस से आजादी चाहिए । जी हिन्द जी भारत।
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